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सारा जीवन धन्य तभी है




सारा जीवन धन्य तभी है-


सारा जीवन धन्य तभी है,

जब मन निर्मल हो जाएगा।


पापी -गठरी सिर से उतरे,

मन चंगा तब हो जाएगा।


बनें हितैषी हम धरती के,

जग में मंगल हो जाएगा।


लघु बनकर सब जीना सीखें,

सहज बड़प्पन दिख जाएगा।


निर्छल मन का होय अवतरण,

साफ-स्वच्छ जग बन जाएगा।


प्यासे मनको शांति मिलेगी,

आत्मतोष जब जग जाएगा।


आत्मज्ञानमय जगती होगी,

जब घमण्ड कुचला जाएगा।


सात्विक प्रेम अंकुरित होगा,

सत्य पन्थ जब मिल जाएगा।


कलुषित तन-मन पाक बनेगा,

नीर-कमल जब खिल जाएगा।


लिप्त रहे मन सदा सत्य में,

पावन भाव तभी आएगा।


नहीं परायापन मन-उर में,

परहितवाद पुनः जागेगा।


रोग ग्रस्त अवसाद ग्रस्त की,

सेवा से मन खिल जाएगा।


रामराज्य आयेगा जग में,

यदा कुशासन हिल जाएगा।


सारा जीवन धन्य तभी है,

दुष्ट भाव जब मिट जाएगा।


धन्य वही है सकल लोक में,

जो शिव-मानव बन जाएगा।


शिवता में है सहज धन्यता,

पात्र -धन्य सब पा जाएगा।





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1 Comments

Renu

23-Jan-2023 05:01 PM

👍👍🌺

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